Neem Tree Benefits in
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नीम वृक्ष के लाभ
नीमवृक्ष के बारे में आप सभी जानते ही हैं,पर आज हम आपको नीम वृक्ष की कुछ ऐसी खुबियों से परिचित कराएंगें जिसके बारे में आपने सायद ही सुना हो।
नीम वृक्ष एक परिचय
⏩⏩नीम वृक्ष साधारणतः भारत देश के कइ हिस्सों में पाए जाते हैं।नीम वृक्ष का प्रत्येक हिस्सा अत्यंत लाभदायक होता है,इसके सभी हिस्सों का उपयोग कुछ बिमारियों में जड़ी बुटी के रुप में किया जाता है।
⏩⏩नीम वृक्ष साधारणतः भारत देश के कइ हिस्सों में पाए जाते हैं।नीम वृक्ष का प्रत्येक हिस्सा अत्यंत लाभदायक होता है,इसके सभी हिस्सों का उपयोग कुछ बिमारियों में जड़ी बुटी के रुप में किया जाता है।
नीम के वृक्ष का प्रत्येक हिस्सा स्वाद में कडवा होता है पर यह जितना कडवा होता है उतना ही लाभदायक भी।
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत :- प्लांटाए
विभाग :- सपुष्पक पौधा
गण :- Sapindales
कुल :- Meliaceas
वंश :- Azadirachta
जाति :- A.Indica
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत :- प्लांटाए
विभाग :- सपुष्पक पौधा
गण :- Sapindales
कुल :- Meliaceas
वंश :- Azadirachta
जाति :- A.Indica
नीम का वृक्ष आकार में लगभग 50फूट तक उँचे हो सकते हैं,हालांकि नीम की कई अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं,जो अलग अलग नामों से जाने जाते हैं।
नाम के अलावा इनके आकार,गुण,स्वाद आदि में भी अंतर पाया जाता है।आज हमारे बीच नीम के गुणों के बारे में कई दंतकथाएं मौजुद है जिनमें बताई गइ बातें तथ्यहीन तो लगती है,पर नीम के गुणों को देखते हुए इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता।
नीम के गुणों पर चर्चा से पहले इस्से संबंदधित प्रचलित एक दंत कथा जानते हैं।
नीम दंत कथा
⏩⏩ ये कहा जाता है,कइ वर्ष पूर्व जब हमारे पास अत्याधुनिक साधनों की कमी थी,तब लोंगों के पास अपनी आवश्यक्ताओं की पूर्ती का एक मात्र साधन प्राकृति ही था।
⏩⏩ ये कहा जाता है,कइ वर्ष पूर्व जब हमारे पास अत्याधुनिक साधनों की कमी थी,तब लोंगों के पास अपनी आवश्यक्ताओं की पूर्ती का एक मात्र साधन प्राकृति ही था।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं,अत्याधुनिक साधनों के बिना आपका जीवन कैसा होगा।
खैर एसे में लोग अपने दांतों की सफाई के लिए नीम,शाल या अन्य पौधों,वृक्षों की कोमल टहनियों का उपयोग करते थे।
उस वक्त एक आदमी एसा भी था,जो अपनें दांतों की सफाइ के लिए प्रतिदिन सिर्फ नीम के दातुन का इस्तेमाल करता था,लगातार कइ वर्षों तक यही सिलसिला चलता रहा।
इसी बीच उसे एक दिन जहरीले सर्प नें डस लिया।पर सांप के विश का थोडा सा भी प्रभाव उसके शरीर में नहीं हुवा।जानकार लोगों का कहना था कि लगातार नीम वृक्ष के दातौन के प्रभाव ने उस्के शरीर में ऐसी शक्ति उत्पन्न कर दी है,जिस्से उस्के शरीर में अत्यंत जहरीले सर्प के विष का भी असर नहीं हुवा।हालांकि इस दावे से संबंधित कोई प्रमाण आज उपलब्ध नहीं हैं,इसलिए इसे दंत कथा ही माना जाता है।
नीम वृक्ष के प्रकार
⏩⏩1.नीम वृक्ष:-जैसा की नीम वृक्ष के परिचय में नीम वृक्ष के इस प्रकार पर चर्चा कर चुके हैं।
⏩⏩1.नीम वृक्ष:-जैसा की नीम वृक्ष के परिचय में नीम वृक्ष के इस प्रकार पर चर्चा कर चुके हैं।
उपयोग
(क)नीम वृक्ष के फल :-
नीम वृक्ष के फलों से नीम का तेल तैयार किया जाता है,नीम का तेल चर्म रोग में काफी लाभदायक होता है।वर्षा ऋतु में शरीर में होने वाले फोडे,फुनसिंयों में नीम का तेल का उपयोग होता है।
नीम के तेल से नहाने का साबुन भी तैयार किया जाता है,जो जर्मनाशक के रुप में कार्य करता है।आज भी छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सो में जहां नीम के वृक्ष की अधिकता है,घर में ही नीम के साबुन का उत्पादन किया जाता है।
कुछ बड़ी कम्पनीयां भी नीम के साबुन का उत्पादन करती हैं।
नीम के तेल का उपयोग कई कम्पनीयां मच्छर भगाने वाले क्वाईल और सोलुसन में भी करती हैं।
(ख)नीम की पत्तीयां:-
नीम वृक्ष की पत्तीयां अत्यंत लाभकारी होती है,इनका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है।
नीम वृक्ष की पत्तीयां अत्यंत लाभकारी होती है,इनका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है।
अ)नीम के वृक्ष की पत्तीयों का उपयोग:-नीम की पत्तीयों को जलाकर धुंआ करने से घर के मच्छर भाग जाते हैं।अधिकांशतः ग्रामीण इलाकों के कच्चे मकानों में इस प्रकार की विधि अपनाइ जाती है।
(ब)नीम के पत्तों का उपयोग कृषक अपने संग्रहीत अनाजों को कीडे मकोडों (घुन) से बचाने के लिए करते हैं।
किसान अपने अनाज की बोरी,ड्रम में आनाज के साथ कुछ नीम के पत्तों को रखते हैं,जिस्से उसमें किड़ो का प्रभाव न हो सके।
(स)नहाने के लिए:- नहाने के गर्म पानी में लोग नीम के पत्तों का स्तेमाल करते हैं,जिस्से शरीर में होने वाले इन्फेक्सन से निजात मिलता है।
(द)चेहरे पर भाप के लिए :- चेहरे पर पड़ी झुर्रियों,दाग के लिए गर्म पानी में नीम के पत्तों को डालकर उसका भाप लिया जाता है।
इस्से चेहरा सुन्दर एवं स्वास्थ बना रहता है।
(य) शरीर में जले के घाव पर भी नीम के पत्तों को पीस कर लगाया जाता है।
(र) चिकन पांक्स:- चिकन पांक्स यानी चेचक होने पर संक्रमीत व्यक्ति के बिस्तर पर चादर के नीचे नीम के पत्ते की एक परत बिछाई जाती है,तथा चेचक से छुटकारा मिलने पर व्यक्ति को पानी में नीम के पत्ते डला पानी से नहलाया जाता है।
(ख) नीम की टहनियां :-
नीम के वृक्ष की कोमल टहनियों को दातौन के रुप में उपयोग किया जाता है,इस्से दांतों में होने वाले सड़न,दर्द,पायरिया(मसूडों से खुन का बहना) मुंह के दुर्गन्ध आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
(ग)नीम की लकडियां :-
नीम के वृक्ष की लकडी कठोर होती है,अतः इसकी लकड़ियों का उपयोग फर्नीचर,कृर्षी यंत्र आदि बनाने के लिए किया जाता है।साथ ही यह जलावन के रुप में भी उपयोग किया जाता है।
2. मीठा नीम
नीम की दुशरी प्रजाती जिसे हम मीठा नीम के नाम से जानते हैं,मीठा नीम की उँचाई औसतन 10 फीट के आस पास होती है।
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत :- पादप
गण :-Sapindales
कुल :-Rutacaea
वंश :-Murraya
जाति :- M.koenigii
मीठा नीम के तने पतले होते हैं,जिस्से इस्के काष्ट को अन्य कामों में नहीं लाया जा सकता है।
मीठे नीम की पत्तीयों का उपयोग भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। हालाकी मीठे नीम के पत्ते का स्वाद मीठा नहीं होता है।
3.भुईं नीम(चिरायता):-
भुईं नीम इसी का दुशरा नाम चिरायता है ,यह नीम के वृक्ष से बिल्कुल उलट पौधे के आकार का होता है।
इसकी उंचाई 2-3 फीट तक हो सकती है,यह अधिकांशतः जंगलों के नमी वाले स्थान में पाए जाते हैं।
गर्मी के मौषम में इसकी सारी पत्तियां गिर जाती है जिस्से इसको पहचानना काफी कठीन हो जाता है,इसका स्वाद नीम से कहीं अधिक कड़वा होता है,फिर भी बकरिंया इसे बड़े चाव से खाती हैं।
कुछ लोग इस पौधे को उसके गुणों के कारण घरों में भी उगाते हैं,चिरायता का पूरा पौधा ही लाभकारी होता है,पर इसकी जडें कुछ अधिक ही गुणकारी होतीं हैं।
चिरायता शरीर के अनेकानेक समस्याओं को दुर करती है।
नीम की दुशरी प्रजाती जिसे हम मीठा नीम के नाम से जानते हैं,मीठा नीम की उँचाई औसतन 10 फीट के आस पास होती है।
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत :- पादप
गण :-Sapindales
कुल :-Rutacaea
वंश :-Murraya
जाति :- M.koenigii
मीठा नीम के तने पतले होते हैं,जिस्से इस्के काष्ट को अन्य कामों में नहीं लाया जा सकता है।
मीठे नीम की पत्तीयों का उपयोग भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। हालाकी मीठे नीम के पत्ते का स्वाद मीठा नहीं होता है।
3.भुईं नीम(चिरायता):-
भुईं नीम इसी का दुशरा नाम चिरायता है ,यह नीम के वृक्ष से बिल्कुल उलट पौधे के आकार का होता है।
इसकी उंचाई 2-3 फीट तक हो सकती है,यह अधिकांशतः जंगलों के नमी वाले स्थान में पाए जाते हैं।
गर्मी के मौषम में इसकी सारी पत्तियां गिर जाती है जिस्से इसको पहचानना काफी कठीन हो जाता है,इसका स्वाद नीम से कहीं अधिक कड़वा होता है,फिर भी बकरिंया इसे बड़े चाव से खाती हैं।
कुछ लोग इस पौधे को उसके गुणों के कारण घरों में भी उगाते हैं,चिरायता का पूरा पौधा ही लाभकारी होता है,पर इसकी जडें कुछ अधिक ही गुणकारी होतीं हैं।
चिरायता शरीर के अनेकानेक समस्याओं को दुर करती है।
⋅⋙ मलेरिया बुखार के लिए यह अत्यंत लाभदायक होता है,इसके लगातार एक महीने के सेवन से जीवन पर्यंत मलेरिया का खतरा लगभग समाप्त हो जाता है,वैसे ये दुशरे बुखारों में भी लाभदायक होता है।
⋙ पाचन शक्ती :-
यह पाचन शक्ति में भी वृद्धि करता है।
⋙ रक्त शुद्धि :-
शरीर के रक्त को साफ करने में भी चिरौती अहम भुमिका निभाता है चिरौती का सेवन सुबह खाली पेट पानी के साथ लगातार एक महिने तक करना चाहिए।हालांकि इसके खुराक की मात्रा और समय आदि का कोई साईंटीफिक निर्धारण नहीं है।
⋙चिरौती या चिरायता
के लगातार सेवन से गैस बदहजमी जैसी समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं।
नोट:- Dk coaching and technology सिर्फ ज्ञान वर्धन का कार्य करती है।
यहां बताए गए युक्तियों का उपयोग के लिए प्रोत्साहित नहीं करती।
कृप्या उपयोग से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
अधिक जानकारी के लिए निशंकोच हमशे संपर्क कर सकते हैं।
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1 टिप्पणियाँ
Very useful article ever...
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