TET(JTET,CTET)Teacher Eligibility Test Rules Changed 2020
टी .ई .टी .(शिक्षक पात्रता परीक्षा) के नियमों में हाल ही में बदलाव किए गए हैं।
पूर्व में 2010 के बाद शिक्षक बनने के लिए टी .ई .टी परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया था।
इसके पश्चात विगत 10वर्षों में टी. ई .टी .की परीक्षा में एक निर्धारित मापदंड़ो के अनुसार परीक्षा होती चली आ रही थी।
टी .ई .टी. के पुराने मापदंड यहां देखें।
हाल ही में एन. सी. टी. ई.(राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परीषद) के द्वारा टी .ई .टी . के नियमों में बदलाव किए हैं, एन. सी. टी. ई. झारखण्ड समेत देश के सभी राज्यों के टी .ई .टी . परीक्षा नियामावली में बदलाव हो जाएंगें।
क्या हैं बदलाव-
बदले नियम के तहत अब टी .ई .टी .(शिक्षक पात्रता परीक्षा)में स्नातक में50%की बाध्यता समाप्त कर दी गई है,जबकि 23अगस्त 2010एवं 29 जुलाई 2011 के अनुसार बी.एड. धारक अभयर्थियों को स्नातक में 50%अंक प्राप्त करना अनिवार्य था।एन. सी. टी. ई. के इस बडे बदलाव के साथ ही अब देश के तमाम राज्यों में टी .ई .टी . परीक्षा के लिए स्नातक में 50% अंक की बाध्यता समाप्त हो जाएगी।
यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 2011 के बाद बी. एड. उर्तीण करने वाले ऐसे अभ्यर्थी जो बी. एड. या स्नातक के समकक्ष किसी परीक्षा में 50%अंक प्राप्त किए हों टी .ई .टी . की परीक्षा में सामिल हो सकते हैं।
किसे कितना फायदा-
एसे में जब स्नातक में 50%अंक की बाध्यता समाप्त हुइ है,ओल्ड कोर्स के प्रतिभागियों को सबसे ज्यादा लाभ पहुँच सकता है, हालांकि नए पाठ्यक्रम के अभयर्थियों को इस्से कुछ खास मतलब नहीं होगा।ओल्ड कोर्स के अभयर्थियों को यह समस्या इसलिए अधिक देखी जा रही थी क्योंकि आज से कुछ वर्ष पूर्व स्नातक के रिजल्ट का ग्राफ बहुत निचे था।
राज्य में अधिकतम 60-65%अंक पाने वाले सबसे उप्पर होते थे,पर कुछ वर्षों में ये ग्राफ तेजी से बड़ता जा रहा है,अगर हाल के आंकड़ो पर नजर डाला जाए तो अधिकतम 90-95%अंको में यह पहुँच चुका है।
इस लिहाज से ओल्डकोर्स अभयर्थियों को काफी राहत मिली है।
झारखण्ड के पारा शिक्षकों को कितना लाभ-
झारखण्ड में पारा शिक्षकों के लिए अब तक कोइ नियामावली नहीं बन पाई है,सरकार अपने स्तर से इस पर प्रयास कर रही है कि पारा शिक्षकों का स्थायीकरण हो एसे में झारखण्ड के पारा शिक्षक दो गुटों में बटे नजर आ रहें हैं।पहला एसे पारा शिक्षक जो टी .ई .टी . पास कर चुके हैं जिनकी संख्या तकरीबन 11000 के करीब है।
दुशरे वैसे पारा शिक्षक जिन्होनें टी .ई .टी . की परीक्षा उर्तीण नहीं की है जिनकी संख्या तकरीबन 55000 के करीब है।
अब ऐसे में पारा शिक्षकों के लिए बन रही नियामावली में टी .ई .टी . सफल पारा शिक्षकों का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
तब बाकी बचे पारा शिक्षकों को टी .ई .टी . पास करना अनिवार्य हो जाएगा।
अब जब टी .ई .टी . में 50%अंक की बाध्यता नहीं रही इस्से काफी पारा शिक्षकों को लाभ पंहुंचेगा।
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