Lapsi Tapsi Ki Kahani in Hindi|लपसी तपसी कहानी,वर्त विधि,नियम,महत्व और सावधानियां।


हर व्रत कथा के साथ पढ़ी और सुनी जाती है लपसी तपसी की यह कहानी, जानिए क्यों?

lapsi tapsi ki kahani


lapsi tapsi ki kahani आरंभिक जानकारी


व्रत के अवसर पर कई लोग व्रत के साथ व्रत कथा को भी पढ़ते या सुनते हैं। इन कथाओं में धार्मिक भावनाएं, विविध विविध प्रचलित कार्यों, संस्कृति और अतिथि सत्कार के बारे में बताया जाता है। इनमें से एक कथा है लपसी तपसी की कथा। इस कथा के बारे में जानते हैं कि इसे क्यों हर व्रत कथा के साथ पढ़ा जाता है।

लेख की आउटलाइन

अनुच्छेद क्रमांकशीर्षक
1परिचय
2लपसी तपसी की कहानी
3लपसी तपसी के व्रत का महत्व
4लपसी तपसी के व्रत की विधि
5लपसी तपसी के व्रत का विस्तार
6लपसी तपसी के व्रत के नियम
7लपसी तपसी के व्रत में खाने-पीने की सीमाएं
8लपसी तपसी के व्रत में सावधानियां
9लपसी तपसी के व्रत में ध्यान करने वाली बातें
10लपसी तपसी के व्रत से जुड़ी रोचक तथ्य
11लपसी तपसी के व्रत के संबंध में सामाजिक महत्व
12लपसी तपसी के व्रत के नुकसान
13लपसी तपसी के व्रत का समापन
14लपसी तपसी के व्रत के बाद क्या करें?
15निष्कर्ष

लपसी तपसी की कहानी

 lapsi tapsi ka जन्म

लपसी तपसी का जन्म एक अमीर संतान के घर में हुआ था। वह बहुत सुंदर थी और उसकी मां ने उसका नाम लपसी दिया।

 lapsi tapsi ki समस्या

लपसी तपसी का संघर्ष उसके अमीर घराने से शुरू हुआ था। वह हमेशा ऐसे लोगों के साथ खेलती थी जो उसकी माता-पिता के दोस्त थे। इससे उसकी माता बेहद नाराज थीं। इसके साथ ही लपसी तपसी की खूबसूरती उसके लिए एक समस्या बन गई। लोगों को उसके सुंदर चेहरे से मतलब होता था और उसे इस बात की समझ नही थी, इससे उसके दिल में दर्द होता था और उसे अकेलापन महसूस होता था।

lapsi tapsi ka विवाह

जब लपसी तपसी बड़ी हुई, तो उसे एक युवक से विवाह कर दिया गया। युवक उसके साथ बहुत प्यार से रहता था और उसकी खूबसूरती को समझता था। उसे उसके सभी दोषों के बावजूद उससे प्यार था।

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 lapsi tapsi ki  तपस्या

लपसी तपसी ने विवाह के बाद अपने पति के साथ समाज में रहना शुरू कर दिया था। उसे सभी चीजें अच्छी तरह से मिल रही थीं लेकिन वह हमेशा एक तनाव में थी। उसे उसकी पूर्व जन्म की यादें आती रहती थीं और वह दुखी हो जाती थी।

एक दिन, उसने निर्णय लिया कि वह तपस्या करेगी। उसने अपने पति को बताया और उसकी इच्छा को समझते हुए उसे तपस्या करने दिया। उसने तपस्या के दौरान न केवल खुद को बल्कि अपनी पूर्व जन्म के सभी दोषों से भी मुक्त कर दिया।

 lapsi tapsi ki वापसी

तपस्या के बाद, लपसी तपसी वापस अपने घर लौटी। उसने देखा कि उसके घर के बगीचे में एक वृक्ष  उगा हुआ है। उसने उस वृक्ष के नीचे मन्दिर बनाया जहाँ वह रोज अपनी पूजा करती थी। वह दिन-रात भगवान को याद करती थी और ध्यान में रहती थी।

उसकी तपस्या की शक्ति से, उसके ग्राम की जनता में सुधार हुआ और उनकी आदतों और विचारधारा में परिवर्तन आया। उनकी जिंदगी में एक नई ऊर्जा का संचार होने लगा जो उन्हें सफलता की ओर ले जाने लगी।

 lapsi tapsi कथा का संदेश

लपसी तपसी की कथा हमें यह बताती है कि तपस्या की शक्ति से हम अपने दोषों से मुक्त हो सकते हैं और जीवन में सुधार कर सकते हैं। यह हमें याद दिलाती है कि हमें हमेशा से अपने दोषों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें ठीक करने के लिए सक्रिय रहना चाहिए।

 lapsi tapsi ki आखिरी बात

लपसी तपसी की कहानी एक सकारात्मक संदेश से भरी हुई है। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम जिस भी स्थिति में हों, हमें हमेशा से सकारात्मक सोचना चाहिए और दृढ़ता से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाना चाहिए।

लपसी तपसी की कहानी - भाग २


जब तपसी ने लपसी को अपने भोजन के लिए पुकारा, तो लपसी बहुत खुश हो गई। वह जल्द ही तपसी के पास आई और उसने उसे प्यार से चूमा। तपसी ने उसे बताया कि उसे आश्रम में जीवन व्यतीत करना है और फिर लपसी तपसी से विदाई लेकर चली गई, लेकिन वह बहुत उदास थी।

दो दिनों के बाद, तपसी को भूख लगने लगी थी। उसने विचार किया कि क्या वह लपसी को वापस नहीं बुला सकती। तपसी लपसी को बुलाने के लिए दौड़ने लगी और वह अपने आस-पास के क्षेत्रों में भटकती रही। लेकिन लपसी कहीं नहीं दिख रही थी।

तपसी कुछ देर और भटकने के बाद उसने उस जगह को फिर से  देखा जहाँ वह लपसी को अंतिम बार देखा था। वहां उसे लपसी की मृत्यु की खबर मिली। उसने देखा कि एक शेर ने लपसी को मार डाला था।

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तपसी अपने आप से बहुत दुखी थी। उसने सोचा कि यदि वह लपसी को वापस बुला सकती तो शेर उसे मार नहीं पाता। लेकिन यह सोच कर तपसी ने उस दिन से शेर को खत्म करने के लिए एक बड़ी योजना बनाई। वह जंगल में घूमती रही और उसने शेर की दिनचर्या का पता लगाने के लिए कई दिनों तक उसका पिछा किया। फिर एक दिन, उसने शेर को अपनी चाल से बेवकूफ बनाकर उसे एक गड्ढे में गिरा दिया। शेर को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था और वह वहीं मर गया।

तपसी अपनी इस साहसिक कार्य से विख्यात हो गई। लोग उसे एक बहादुर और बुद्धिमान महिला मानते थे और उसे अब "शेरनी" के नाम से जाना जाता था। वह अपनी महानता से सभी के दिलों में बस गई।

उस दिन से, तपसी ने एक महान उद्देश्य के साथ अपना जीवन बिताया। वह अपनी जानकारी और कुशलता का उपयोग करते हुए जंगल के लिए समर्पित हुई और जंगल की रक्षा करने के लिए लड़ती रही। उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश था - हमें अपनी ज़िन्दगी के उद्देश्य को जानना चाहिए और अपने सपनों की पूर्ति करना चाहिए।

लपसी तपसी के व्रत का महत्व



लपसी तपसी ने अपने जीवन में एक बहुत अहम् फैसला लिया था। वह आश्रम में रहकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखने लगी थी। उसका व्रत एकदिनीय था, जिसमें वह पूरे दिन भोजन नहीं करती थी।

लपसी तपसी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया था। वह इस व्रत से न केवल भगवान को प्रसन्न करती थी, बल्कि इससे उसकी आत्मा भी शुद्ध हो जाती थी। लपसी तपसी का व्रत उसके जीवन में एक नयी दिशा देने लगा था। उसकी आत्मा की शुद्धि और उसकी संस्कृति में नयी ऊंचाइयों तक पहुंचने में यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता था।

लपसी तपसी के व्रत का महत्व यह भी था कि वह इसे दूसरों के लिए उत्साहित करती थी। उसके व्रत को देखकर अन्य लोग भी उसके तरह व्रत रखने लगे थे। इस तरह लपसी तपसी ने अपने व्रत से अपनी जीवनशैली में एक पूर्ण बदलाव लाया था।

लपसी तपसी के व्रत की विधि


लपसी तपसी का व्रत बड़ा ही सरल और सुगम होता है। इस व्रत को करने के लिए आपको थोड़ी सी तैयारी करनी होगी।

पहले तो आपको एक निर्धारित दिन का चयन करना होगा। फिर आप उस दिन सुबह उठकर शौच कर लें। उसके बाद आप दो विधियों में से एक का चयन कर सकते हैं - एक तो आप निर्जल व्रत रख सकते हैं जिसमें आप पानी नहीं पीते हैं और दूसरा है साकार व्रत जिसमें आप फल, सब्जियां, दाल आदि खा सकते हैं।

इसमें आपको पूरे दिन का उपवास करना होता है। इसमें आपको अपने मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान और मेधा भी लगाना होगा। इस दिन आपको किसी भी विषय में विचलित नही होना चाहिए। आपको सोचना नहीं चाहिए कि आपके पास क्या है या नहीं है। बल्कि आपको सबको प्यार और सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए।

अंत में, आपको अगले दिन सुबह स्नान करना होगा। इसके बाद आप अपने व्रत को खत्म कर सकते हैं।

लपसी तपसी के व्रत का विस्तार


लपसी तपसी के व्रत को अपनाने से आप अपने जीवन को स्वस्थ, समृद्ध और सकारात्मक बना सकते हैं। इस व्रत को नियमित रूप से अपनाने से आप अपनी जिंदगी में शांति, समृद्धि और सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।

लपसी तपसी के व्रत में आपको उसी दिन से शुरू करना चाहिए जब आपको इस व्रत का संकल्प लेना होता है। आपको एक साथ 21 दिन तक इस व्रत का पालन करना होगा।

इस व्रत में आपको रोज सुबह उठकर शौच करना होता है। फिर आपको एक साफ कपड़े से धोए हुए पानी में नीम के पत्तों को डालकर उसे गर्म करना होता है। गर्म पानी में नीम के पत्ते को रखने से उसके गुणों का प्रभाव पानी में आ जाता है।

फिर आपको उस पानी को तैयार करने वाले बर्तन से एक कप पानी निकालकर उसे तीन बार अपने मुँह में घूमाना होता है। इसके बाद आप अपनी नियत प्राणायाम या मन्त्रों का जाप कर सकते हैं।

लपसी तपसी के व्रत में खाने-पीने की सीमाएं


लपसी तपसी के व्रत में खाने-पीने की सीमाएं बहुत कड़ी होती हैं। इस व्रत के दौरान, तपसी खेत में काम करती हैं और उन्हें अपने आहार के लिए अपने साथ कुछ नहीं लेना होता है। इस व्रत के दौरान तपसी को अधिकतम आहार की आवश्यकता होती है।

व्रत में तपसी को एक बार के लिए दो चीजें ही खाने की अनुमति होती हैं, जो हैं- एक स्त्रावण (सुखा भोजन) और दूसरा गोखरू (चने का फल।)

स्त्रावण में तपसी को रोटी या पूरी जैसी चीजें नहीं खानी चाहिए, बल्कि उन्हें मूंगफली, छोले आदि को सूखा भोजन बनाकर खाना होता है। उन्हें तापमान बहुत उच्च होने के कारण सारे दिन दूध नहीं पीना चाहिए।

गोखरू के फल का सेवन करना तपसी के व्रत में बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह फल एक दिन तक दूध और पानी के साथ भिगोकर रखा जाता है। इसके बाद इसे सूखा करके चने की तरह खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस फल में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल होते हैं,

लपसी तपसी के व्रत में सावधानियां





लपसी तपसी के व्रत में कुछ सावधानियां रखनी चाहिए। पहली सावधानी यह है कि व्रत के दौरान आपको शरीर को पुष्टि देने वाले तत्वों का सेवन करना चाहिए। इसलिए, अपने आहार में ज्यादा प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की मात्रा को बढ़ाना चाहिए।

दूसरी सावधानी यह है कि आपको व्रत के दौरान उत्साह और धैर्य बनाए रखना चाहिए। अगर आप व्रत के बीच में भूख से परेशान हो जाते हैं, तो उसे टूटने नहीं देना चाहिए। आपको थोड़ा सबर रखना चाहिए और व्रत के दौरान शांति और ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।

तीसरी सावधानी यह है कि आपको व्रत के दौरान साफ-सुथरे और हल्के कपड़े पहनने चाहिए। भगवान की पूजा के लिए आपको सभी प्रकार के ज्ञान, समझदारी और गंभीरता का अभ्यास करना चाहिए।

चौथी सावधानी यह है कि व्रत के दौरान आपको अपने मन को भगवान के प्रति सदैव स्थिर रखना चाहिए।


लपसी तपसी के व्रत से जुड़े रोचक तथ्य:


यह व्रत निरंतर 41 दिनों तक रखा जाता है।
व्रत के दौरान अशुद्ध विचारों से बचना बहुत जरूरी होता है।
इस व्रत में अनाज, दाल, तेल आदि का सेवन नहीं किया जाता है।
व्रत के अंतिम दिन लपसी और तपसी की पूजा की जाती है।

लपसी तपसी के व्रत के संबंध में सामाजिक महत्व:


इस व्रत का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक होता है।
इस व्रत को बचपन से ही सिखाया जाता है ताकि लोग निरंतर अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास कर सकें।
इस व्रत को लोग अपनी आध्यात्मिक जीवनशैली का हिस्सा मानते हैं जो उन्हें सामाजिक तथा मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है।

लपसी तपसी के व्रत के नुकसान:


लपसी तपसी व्रत करने के फायदों के अलावा इसके नुकसानों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। कुछ लोग इस व्रत के दौरान स्वस्थ नहीं रह पाते हैं और कुछ लोग इसे तोड़ देते हैं।

यह व्रत लंबे समय तक किया जाता है, जो कि कई लोगों के लिए कठिन हो सकता है। अधिक समय तक अन्न से परहेज करने से शरीर कमजोर हो सकता है और इससे दूसरी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

कुछ लोग इस व्रत के दौरान पीठ दर्द, सिरदर्द, थकान, थंडे या गरम पदार्थों की असहनशीलता आदि समस्याओं का सामना कर सकते हैं।

इस व्रत के दौरान बीमार होने पर उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।

इस व्रत में अन्न के बिना अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है।

इसलिए, लपसी तपसी व्रत करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।


लपसी तपसी के व्रत का समापन


लपसी तपसी के व्रत का समापन भी ध्यानपूर्वक किया जाना चाहिए। व्रत के अंतिम दिन को ध्यान देने की जरूरत होती है। इस दिन समापन से पहले आपको एक अंतिम दान देना चाहिए। आप किसी भी व्यक्ति या संस्था को धन या अन्य आवश्यकताओं के लिए दान कर सकते हैं।

समापन दिन आपको व्रत से निकलने से पहले नौ बार लपसी तपसी का जाप करना चाहिए। इसके बाद आपको व्रत खोलना होगा। आपको व्रत का खुलने के बाद एक दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद आप अपने उपवास से निकल सकते हैं।

लपसी तपसी के व्रत के बाद क्या करें?


लपसी तपसी के व्रत के बाद, व्रत को समाप्त करने के लिए एक शुद्ध वातावरण में शुद्धिकरण करना बहुत आवश्यक होता है। व्रत समाप्ति के बाद शुद्धिकरण करने के बाद, आपको आपके द्वारा निष्कृत वस्तुओं को समाप्त करना चाहिए। आप अपने जीवन में धार्मिक आदर्शों को ध्यान में रखते हुए जीवन का एक सकारात्मक रूप बनाने के लिए प्रयास कर सकते हैं। इस व्रत से आप धैर्य, त्याग, ध्यान, तपस्या आदि कुछ गुण प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने दैनिक जीवन में दैनिक प्रयास के माध्यम से इन गुणों को विस्तारित कर सकते हैं।

व्रत के बाद, आपको अपने शरीर को संतुलित भोजन खिलाना चाहिए और अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। आप भोजन में हल्दी, जीरा, धनिया, तुलसी, अदरक, लहसुन आदि का उपयोग कर सकते हैं, जो शरीर को शुद्ध करते हैं। आपको एक शांत, सकारात्मक वातावरण में शामिल होना चाहिए और अपने शरीर को विश्राम देना चाहिए।

निष्कर्ष


इस प्रकार लपसी तपसी के व्रत द्वारा व्रती अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध रखते हैं और अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। यह व्रत आनंद और शांति का अनुभव करने के साथ-साथ सफलता, स्वस्थ जीवन और जीवन में सफलता की ओर ले जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्रती धन, संतान और उच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, व्रत के नियमों का पालन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, व्रत के नियमों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)


लपसी तपसी की कथा कौन से धर्म की है?

लपसी तपसी की कथा हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है।


लपसी तपसी की कहानी कहाँ से आयी है?

लपसी तपसी की कहानी प्राचीन भारत की है।


तपस्या क्या होती है?


तपस्या एक आध्यात्मिक अभ्यास होता है जो शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण की एक प्रक्रिया होती है। यह व्यक्ति को दृढ़ता, संयम और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।


क्या हम आज भी तपस्या का अभ्यास कर सकते हैं?

हां, हम आज भी तपस्या का अभ्यास कर सकते हैं। यह हमें शांति, स्वस्थ जीवन और संतुलित विकास प्रदान करता है।


क्या तपस्या के लिए कोई विशेष शुरुआती ध्यान आवश्यक होता है?

हां, तपस्या के लिए विशेष शुरुआती ध्यान आवश्यक होता है। आपको अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ संपर्क बनाना चाहिए और ध्यान को नियमित बनाना चाहिए। इसके लिए आप एक गुरु से मदद ले सकते हैं जो आपको सही दिशा दे सक